चलो फिर अहिंसा के बिरवे उगाà¤à¤à¥¤ बहà¥à¤¤ लहलही आज हिंसा की फसलें पà¥à¤°à¤¦à¥‚षित हà¥à¤ˆ हैं धरा की हवाà¤à¤à¥¤ चलो फिर अहिंसा के बिरवे उगाà¤à¤à¥¤à¥¤ बहà¥à¤¤ वक़à¥à¤¤ बीता कि जब इस चमन में अहिंसा के बिरवे उगाठगठथे थे सोयà¥...